बस तुझको याद करके
वो सरहदें ये तन्हा राते
और ये भीगी पलके!
रोज रोज लुट रहे हैं
बस तुझको याद करके!
हर रात न सोने दे
तेरी वो बाते मुझ को!
हर रात हम रोते हैं
बस तुझको याद करके!
तरसती हैं ये निगाहे
तुझको ही देखने को!
तकते हैं अब तो राहे
बस तुझको याद करके!
आलम हैं ये कैसा
बेखुदी में अब हमारा!
निकलती हैं अब आहे
बस तुझको याद करके!
तुम तो नज़्म हो मेरी
मैं पढ़ता हूँ रोज़ तुझको!
लड़ता हूँ दिल से रोज़
बस तुझको याद करके!
जब लोग पुछते हैं
शायरी की वज़ह मुझसे!
मैं तब भी मुस्कुराता हूँ
बस तुझको याद करके!
?- AnoopS©
17th Nov. 2019