बस छू कर लौट आता हूँ
आसमान को छूने को लिया पतंगो का सहारा
असहाय सा कहने लगता मैं खुद को बेचारा
दरिया मे उतरने से आज तक डरता हूँ
बस छू कर लौट आता हूँ हर बार किनारा||
आसमान को छूने को लिया पतंगो का सहारा
असहाय सा कहने लगता मैं खुद को बेचारा
दरिया मे उतरने से आज तक डरता हूँ
बस छू कर लौट आता हूँ हर बार किनारा||