Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Feb 2024 · 1 min read

बस एक प्रहार कटु वचन का मन बर्फ हो जाए

बस एक प्रहार कटु वचन का मन बर्फ हो जाए
————–
पांच तत्व का ये शरीर
पाँचों गुण छुपाये

लहू तरल है – स्वांस है वायु
जठराग्नि – आग समेटे

मन गगन – तन मिट्टी
तू ही कभी आभास करे ना

जब प्रेम-उष्मा भरि जाए
बस एक प्रहार किन्ही

कटु वचन का
तन – मन बर्फ हो जाए

67 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Atul "Krishn"
View all
You may also like:
2645.पूर्णिका
2645.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
अपनी-अपनी विवशता
अपनी-अपनी विवशता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*धन्य तुलसीदास हैं (मुक्तक)*
*धन्य तुलसीदास हैं (मुक्तक)*
Ravi Prakash
अर्धांगिनी
अर्धांगिनी
VINOD CHAUHAN
निःस्वार्थ रूप से पोषित करने वाली हर शक्ति, मांशक्ति स्वरूपा
निःस्वार्थ रूप से पोषित करने वाली हर शक्ति, मांशक्ति स्वरूपा
Sanjay ' शून्य'
"एक ख्वाब टुटा था"
Lohit Tamta
कभी मिले नहीं है एक ही मंजिल पर जानें वाले रास्तें
कभी मिले नहीं है एक ही मंजिल पर जानें वाले रास्तें
Sonu sugandh
The engulfing darkness and the silence stretched too long,
The engulfing darkness and the silence stretched too long,
Manisha Manjari
हम भी अपनी नज़र में
हम भी अपनी नज़र में
Dr fauzia Naseem shad
वो अपनी जिंदगी में गुनहगार समझती है मुझे ।
वो अपनी जिंदगी में गुनहगार समझती है मुझे ।
शिव प्रताप लोधी
मंगल मय हो यह वसुंधरा
मंगल मय हो यह वसुंधरा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
जनवरी हमें सपने दिखाती है
जनवरी हमें सपने दिखाती है
Ranjeet kumar patre
पतझड़ से बसंत तक
पतझड़ से बसंत तक
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
जिंदगी
जिंदगी
Sangeeta Beniwal
इंसान का स्वार्थ और ज़रूरतें ही एक दूसरे को जोड़ा हुआ है जैस
इंसान का स्वार्थ और ज़रूरतें ही एक दूसरे को जोड़ा हुआ है जैस
Rj Anand Prajapati
ज़बानें हमारी हैं, सदियों पुरानी
ज़बानें हमारी हैं, सदियों पुरानी
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
बादल
बादल
लक्ष्मी सिंह
कुछ पाने की कोशिश में
कुछ पाने की कोशिश में
Surinder blackpen
दो नयनों की रार का,
दो नयनों की रार का,
sushil sarna
कुत्तज़िन्दगी / Musafir baithA
कुत्तज़िन्दगी / Musafir baithA
Dr MusafiR BaithA
इन समंदर का तसव्वुर भी क्या ख़ूब होता है,
इन समंदर का तसव्वुर भी क्या ख़ूब होता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मत कहना ...
मत कहना ...
SURYA PRAKASH SHARMA
"सचमुच"
Dr. Kishan tandon kranti
■ मुक्तक
■ मुक्तक
*प्रणय प्रभात*
!........!
!........!
शेखर सिंह
ज्ञानों का महा संगम
ज्ञानों का महा संगम
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्स ए वफ़ा आपसे निभाते चले गए,
दर्स ए वफ़ा आपसे निभाते चले गए,
ज़ैद बलियावी
राह तक रहे हैं नयना
राह तक रहे हैं नयना
Ashwani Kumar Jaiswal
वो मिलकर मौहब्बत में रंग ला रहें हैं ।
वो मिलकर मौहब्बत में रंग ला रहें हैं ।
Phool gufran
आओ एक गीत लिखते है।
आओ एक गीत लिखते है।
PRATIK JANGID
Loading...