बस इसी सवाल का जवाब
जब भी मैं सोचने लगता हूँ ,
सिर्फ तू ही होती है मेरे ख्यालों में,
जब भी लिखने लगता हूँ कुछ,
तब भी तू ही होती है मेरे दिमाग में,
और खो जाता हूँ मैं इतना,
मुझको यह तक मालूम नहीं रहता,
कि मैं क्या कर रहा हूँ ?
कौन मेरे इस दिल को समझा सकता है ?
कौन दे सकता है मेरे इस मर्ज की दवा ?
कौन दे सकता है मेरे इस सवाल का जवाब ?
जिसके इंद्रजाल में उलझा रहता हूँ मैं,
सोने लगता हूँ तो नींद नहीं आती है,
क्योंकि सिर्फ तू ही तो होती है,
मेरी आँखों और जेहन में हरपल।
आखिर तुझमें ऐसी क्या खूबी है ?
जबकि तुमसे ज्यादा खूबसूरत,
और भी है मुझको चाहनेवाले,
मगर क्यों नहीं भुला पाया मैं तुमको ?
बस इसी सवाल का जवाब,
नहीं मिला है मुझको आज तक।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)