बस आज कुछ पढ़ते पढ़ते
बस आज कुछ पढ़ते पढ़ते..
व्यंग छंद ?
???
शाबाश,
लिख लिख के थक गये ??
अब दिखा दिखा के,
इन को अमर बना दीजिये l
लगे रहें ये धर्म वीर,
दोगलों के कर्मो की व्याक्षा में,
अब थक गये, बोलते बोलते
उतर आये फोटो दिखाने
लोगो ने सोचा,
अरे ये भगवा की चाल है
कर न पा रहें, इनकी सृमति मिटाने
तो उतर आये क्रुन्दन मेँ
ऐरे भई हमने पढ़ी रामायण मेँ,
सीता तो बनवास गई ही नहीं,
रावण को भई दोष लगाया,
सीता हरण हो गई…
अरे भई, यह तो राजनीती का खेल है,
काम, दाम,दण्ड,भेद सब कर्म महान है
अति हर तरह का, ठीक हो, या गलत
क्षति अवश्य लाती है
समय की क्षमता पर…
सुखी, स्वस्थ, समर्थ एवं आयुष्मान भवः ✋️