बस्ते…!
बस यूँ ही 🤗
ये बोझिल बस्ते!
अर्ध मुद्रा में पड़े से,
बोझिल,अलसाए,
दृढ़ निश्चय पर अड़े से।
देखे मैंने बोझिल बस्ते!
मानों चिर योग मुद्रा में,
हों अपने इष्ट देव को ध्याते।
पूछते हों जैसे प्रश्र खुद से!
बोझ इतना हम क्यों उठाते।
देखे मैंने बोझिल बस्ते!
देखो न! ऐसा नहीं कि
सभी तनाव ग्रस्त हैं।
कुछ मस्तकलंदर हैं,
कुछ आश्वस्त हैं।
देखे मैंने खुशदिल बस्ते!
दरअसल खुद से आशाओं
की पहुँच में हैं।
आज की परीक्षा कैसी होगी?
इसी जटिल सोच में हैं।
देखे मैंने स्नेहिल बस्ते!
इंद्रधनुष के सभी रंगों
के रंग हैं खुद में समेटे!
कुछ सावधान मुद्रा में खड़े,
कुछ शवासन मुद्रा में लेटे।
देखे मैंने बोझिल बस्ते!
ज़रा ध्यान से देखो इनको
हर बस्ता कुछ कहता है।
कोई व्यथित हैं कम अंकों से
कोई अल्हड़ हँसता रहता है।
देखे मैंने हरदिल बस्ते!
नीलम शर्मा ✍️