बसन्त आने से
ये सर्दी भी गुलाबी हो गई बसन्त आने से
गर्मी भी अंगडाई ले रही सुप्त अवस्था से
पीत रंग धरा धरा ने तेरे बसन्त आने से
राजा रंक पुल्लकित हुए मौसम सुहाने से
अमृत रस घोल रही ये कोयलिया गाने से
नार शारदा बिम्ब बन रही बसन्त आने से
भंवरा गुंज, तितलियां कर रही अठखेलियां
बगियों में कलियों व फूलों के मुस्कराने से
लक्ष्मण सिंह
जयपुर