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29 Jan 2020 · 1 min read

” बसन्त है आयो “

कोपल नवल, जु पात नवीनहुँ, पाइ के पादप-वृन्द सिहायौ,
अँबुअन पाँति ठाँढ़ि बौराइ, जु नीम कहइ कटु बानि बिसारौ।।

कहुँ अलिवृन्द फिरैं अलमस्त, जु सोँधि परागन उर भरमायो,
नृत्य करैं तितलिन सँग झूमि, खिलत सब पुष्प जु मन हरषायो।

बिहँसत फूलि कै सरसौँ कहूँ, कहुँ टेसुन रँग मुदित मन म्हारो,
जौबन भार सुँ गेहुँ लजात, चना कछु सोचि मनहिँ मुसकायो।

कूकि कै कोकिल कहति कछू, कहुँ “पीयु कहाँ” हिय अगन लगायो,
नाचि मयूर मलँग, लगै सँग गोपिन, कान्हा है रास रचायो।

जोहत बाट जु बिरहन पाइ, पिया सुख आज बरनि नहिं जायो,
दिवस न चैन, न नीँदहु रैन, कितै दिन बाद हूँ दरसन पायो।

बाजत मदन मृदँग कहूँ, कोउ मिलन को गीत सुनावत प्यारो,
नाचत कोउ मगन ह्वै, झाँझ-मँजीरा बजावत लागत न्यारो।

उड़त अबीर-गुलाल कहूँ, सखि साँच माँ लागि “बसन्त है आयो”,
मास हैं “आशा” कितैक भले, मधुमास सो मास न दूजहि पायो..!

रचयिता-
Dr.Asha Kumar Rastogi
M.D.(Medicine),DTCD
Ex.Senior Consultant Physician,district hospital, Moradabad.
Presently working as Consultant Physician and Cardiologist,sri Dwarika hospital,near sbi Muhamdi,dist Lakhimpur kheri U.P. 262804 M 9415559964

Language: Hindi
Tag: गीत
13 Likes · 17 Comments · 1189 Views
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