बसन्त पंचमी
सुमुखि सवैया
121 121 121 12, 1 121 121 121 12
लगी जबसे ऋतु है मधुमास दिखे चहुँओर हरी धरती।
भरे खलियान खिली सरसों वन बागन कोयल कू करती।
अनेक प्रकार खिले तरु पुष्प बयार सुगंधित है चलती।
प्रसून नवीन सुगंध भरे हिम प्रात धरा पर है गिरती।
अदम्य