बसंत
गमक उठीं हैं पुष्प लताऐं,महक उठा संसार
ऋतुराज का आगमन,वांट रहा उपहार
सौंदर्य प्रेम विखेर प्रकृति,मना रही त्यौहार
मन भावन चल रहीं हवाएं , भीनी मस्त बहार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
गमक उठीं हैं पुष्प लताऐं,महक उठा संसार
ऋतुराज का आगमन,वांट रहा उपहार
सौंदर्य प्रेम विखेर प्रकृति,मना रही त्यौहार
मन भावन चल रहीं हवाएं , भीनी मस्त बहार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी