बसंत
बनके बहार देखिये छाया बसंत है
मधुमास की सुगंध को लाया बसंत है
आई प्रणय की बेला सुमन खिलखिला रहे
दुल्हन बनाने धरती को आया बसंत है
लाता है मस्तियों का ये मौसम सुहावना
करता उदासियों को पराया बसंत है
धरती ने पीली सरसों की ओढ़ी हुई चुनर
हर फूल में कली में समाया बसंत है
रंगीन है वसुंधरा निखरा हुआ गगन
कुदरत का देख रूप ये भाया बसंत है
माता सरस्वती की करें ‘अर्चना’ सभी
यूँ अवतरण की खुशियों को लाया बसंत है
25-02-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद