“” *बसंत बहार* “”
“” बसंत बहार “”
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आयी बसंत बहार, सज आई वसुंधरा
चहुँओर बरस रहा , अब आनंद बहार !
चलें झूमें गाए तन मन ये जीवन धरा…..,
और बहे चले ठंडी, मधुर मकरंदित बयार !! 1 !!
खेत खलियान चहक रही पीली सरसों
वन पंछी विहंग कोयल कूक हर्षा रहीं !
अब आम मंजरी जाए महके बागों में….,
बसंत स्वागत में खिली कलियाँ मुस्कुरा रहीं !! 2 !!
अल भोर की बेला, लगे मन को है भाने
दिवस धूप चले हौले-हौले अब गुनगुनाए !
दसों दिशाओं से उठ रही हैं मधुर स्वर तानें..,
चली धानी चुनरिया पहने धरा खिले सरसाए !! 3 !!
है मदनोत्सव प्राकट्य दिवस श्रीवाग्देवी का
चलें बच्चों को अमृतज्ञान संस्कार देते नित्य !
करें विधि विद्यान संग पूजा माँ सरस्वती की…..,
आई है बसंत जीवन को बनाने दिव्य भव्य !! 4 !!
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सुनीलानंद
गुरुवार,
30 मई, 2024
जयपुर
राजस्थान |