बसंत कुण्डलिया
ताजा मौसम अब हुआ, उठी बसंत बहार
मन मयूर के साथ में, नाच उठा संसार
नाच उठा संसार, मगन खग दिखे गगन में
दमकें लाल गुलाब, सुगंधी छाय पवन में
कह प्रशांत कविराय, हँसे श्रृतुओं का राजा
कलियाँ करें पुकार,हुआ अब मौसम ताजा।
प्रशांत शर्मा सरल