बसंत ऋतु है आई
आलोकिक आनंद देने वाली, बसंत ऋतु है आई।
धरती ने फूलो के गहने पहने,वह आज है मुस्काई।।
महक उठी सारी धरती,गगन से मिलने को है आतुर।
पहन बसंती वस्त्र नर नारी बसंत मनाने को है आतुर।।
पुष्प चढ़ाकर, करते है मां सरस्वती को हम नमन।
देती विद्या का दान,जब हो जाती वह हमसे प्रसन्न।।
ओढ़ी पीली चादर खेतो ने,जब सरसो है खिलती।
देखता जब कृषक उसको,खुशी उसको है मिलती।।
मंडराते भंवरे मतवाले,जब उपवन फूलो से है सजता,
इठलाती रंग बिरंगी तितलियां उपवन महक है उठता।
आर के रस्तोगी