Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Dec 2022 · 1 min read

बसंत ऋतु में

** गीतिका **
~~
बसंत ऋतु में कुदरत का जब, रूप बदलने लगता है।
खिला खिला हर दृश्य देखकर, हृदय मचलने लगता है।

डूब न जाए आकर्षण में, चंचल है मन यह कितना।
लक्ष्य स्मरण कर मुश्किल पल में, पथिक सँभलने लगता है।

आस किरण जब हो ओझल तो, बिल्कुल मत घबराना तुम।
जब हटता आवरण धुंध का, सूर्य निकलने लगता है।

बूंद पिघलती शबनम की जब, सुन्दर कलियां खिल उठती।
कोमलता से भाव स्नेह का, मन में पलने लगता है।

लोभ मोह माया के बंधन, तोड़ सुपथ पर बढ़े चलें।
धर्म मार्ग पर ही चलने से, भाग्य बदलने लगता है।

संयम खोना भी अच्छा है, लेकिन तो हर बार नहीं।
कभी कभी यह मन खुशियों में, व्यर्थ उछलने लगता है।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य
मण्डी (हिमाचल प्रदेश)

3 Likes · 2 Comments · 203 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from surenderpal vaidya
View all
You may also like:
परिश्रम
परिश्रम
Neeraj Agarwal
3297.*पूर्णिका*
3297.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
1) आखिर क्यों ?
1) आखिर क्यों ?
पूनम झा 'प्रथमा'
टूटता   है  यकीन  खुद  पर  से,
टूटता है यकीन खुद पर से,
Dr fauzia Naseem shad
"पिता का घर"
Dr. Kishan tandon kranti
*हैं जिनके पास अपने*,
*हैं जिनके पास अपने*,
Rituraj shivem verma
आपसे होगा नहीं , मुझसे छोड़ा नहीं जाएगा
आपसे होगा नहीं , मुझसे छोड़ा नहीं जाएगा
Keshav kishor Kumar
जिन्दगी की शाम
जिन्दगी की शाम
Bodhisatva kastooriya
बाल कविता: चिड़िया आयी
बाल कविता: चिड़िया आयी
Rajesh Kumar Arjun
गंधारी
गंधारी
Shashi Mahajan
आप क्या समझते है जनाब
आप क्या समझते है जनाब
शेखर सिंह
मजदूर
मजदूर
Dr Archana Gupta
हम किसी सरकार में नहीं हैं।
हम किसी सरकार में नहीं हैं।
Ranjeet kumar patre
एक परोपकारी साहूकार: ‘ संत तुकाराम ’
एक परोपकारी साहूकार: ‘ संत तुकाराम ’
कवि रमेशराज
*छूकर मुझको प्रभो पतित में, पावनता को भर दो (गीत)*
*छूकर मुझको प्रभो पतित में, पावनता को भर दो (गीत)*
Ravi Prakash
मैं अकेला नही हूँ ।
मैं अकेला नही हूँ ।
Ashwini sharma
सकारात्मक सोच
सकारात्मक सोच
Neelam Sharma
I love you Shiv
I love you Shiv
Arghyadeep Chakraborty
👌तेवरी👌
👌तेवरी👌
*प्रणय*
"डर का माहौल नहीं, घर का माहौल दीजिए ll
पूर्वार्थ
हमको नहीं गम कुछ भी
हमको नहीं गम कुछ भी
gurudeenverma198
अपने वही तराने
अपने वही तराने
Suryakant Dwivedi
संवेदना का सौंदर्य छटा 🙏
संवेदना का सौंदर्य छटा 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कौन किसकी कहानी सुनाता है
कौन किसकी कहानी सुनाता है
Manoj Mahato
अधूरा एहसास(कविता)
अधूरा एहसास(कविता)
Monika Yadav (Rachina)
हे ब्रह्माचारिणी जग की शक्ति
हे ब्रह्माचारिणी जग की शक्ति
रुपेश कुमार
फिर से आयेंगे
फिर से आयेंगे
प्रेमदास वसु सुरेखा
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
स्वाभिमानी व्यक्ति हैं चलते हैं सीना ठोककर
स्वाभिमानी व्यक्ति हैं चलते हैं सीना ठोककर
Parvat Singh Rajput
मायड़ भौम रो सुख
मायड़ भौम रो सुख
लक्की सिंह चौहान
Loading...