बसंत आने को है –
बसंत आने को है,
दीपशिखा के चंचल चरण
करने चले है फागुन वरण
शीतल ज्वाला से अपनी
सौरभ मधु बरसाने को है
सुना है ! बसंत आने को है !!
हर इक मन में उमंग प्रवाह
शीतलता करती मधुर दाह
मनभावन सौंदर्यता से अब
मनवा मधुर लुभाने को है
सुना है ! बसंत आने को है !!
अमवा के अंकुर पनपने लगे,
पुष्प टेसू, सरसों खिलने लगे,
नए दौर के नए किस्से देकर,
पुरानी पाती विदा होने को है
सुना है ! बसंत आने को है !!
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डी के निवातिया