बसंत आगमन
फूलों से लदपद धरा हैं,
आंचल खुशबू से भरा है।
पहाड़ों ने ओढ़ा सौंदर्य,
खेतों का मुखड़ा हरा हैं,
बागों में झरते सौरभ को भ्रमर चूम रहा हैं, श्रृंगारित धरती को छूकर बसंत झूम रहा हैं।
नवल बसंत तुम्हारा आगमन शुभमय हो।
दूर-दूर तक खेतों में हरीतिमा छाई हो।
धर सोलह सिंगार ओढ़कर पीली सरसों की साड़ी धरा दुल्हन सी लजाई।
प्रकृति की ऐसी रूत देखकर
सब आनंदमय हो।
नवल बसंत तुम्हारा आगमन शुभ मय हो।।खिल उठे फूल टेसू के, केतकी गुलाब जूही और गेंदा भी खिले।
नीलगगन विस्तृत कितना,
थाह पाने चिड़ियों ने भी पंख खोले।
देख प्रकृति का रूप अनुपम सब मंगलमय हो।
नवल बसंत तुम्हारा आगमन शुभ मय हो।।