बसंती रंग तब देखा गया है
—ग़ज़ल—
1222-1222-122
तिरंगा जब गगन —पर छा गया है
तो चेहरा देश का- खिल सा गया है
कई कुर्बानियाँ ——देनी पड़ी हैं
तब इस आज़ादी को -पाया गया है
लहू की होलियाँ —–खेली गयी हैं
बसंती रंग तब —– देखा गया है
थी भारत माँ के —-जो पैरों में बेड़ी
बड़ी ताख़ीर से ——तोडा गया है
थी भारत माँ के——जो पैरों में बेड़ी
बड़ी ताख़ीर ——से तोडा गया है
बुलंदी हो मेरे —–भारत को हासिल
हमेशा —ख़्वाब ये देखा —गया है
विदेशी सरफ़िरे ——लोगों के ज़रिए
हमारे अज़्म को —— परख़ा गया है
ऐ “प्रीतम” अम्न का जो मीठा नग़्मा
वो हिन्दुस्तान में गाया गया है