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3 Apr 2024 · 1 min read

बसंती बहार

बसंती बहार

मेरी जिंदगी मेरा करार हो तुम
जिसे टूट कर चाहा वो प्यार हो तुम
बेनूर थी जिंदगी तेरे आने के पहले
मेरे जीवन की बसंती बहार हो तुम

थपेड़ों से जैसे थक सा गया था
उलझनों में जमाने की उलझ सा गया था
अपने भीतर का इंसान खो गया हो जैसे
मैं कौन हूं यह भी भूल सा गया था

तुम जो आए तो जैसे बहार आ गई
जिंदगी में मेरे तरुणाई आ गई
गीत और शब्द पीछे कहीं छूट गए थे मेरे
प्रेरणा से तेरी अब इनमें जान आ गई

इति।

इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश
9425822488

113 Views
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