*बल गीत (वादल )*
बल गीत (वादल )
घेर घेर कर वादल आता।
मेरे मन को वह डरवाता।।
घर के भीतर मैं छिप जाता।
बाहर आने से घबड़ाता।।
बीच बीच में विजली तड़के।
डर जाता दिल हरदम धड़के।।
विस्तर में तब छिप जाता हूँ।
पापा पापा चिल्लाता हूँ।।
बहुत देर में पापा आते।
गोदी में ले प्यार जताते।।
उन्हें देख कर खुश हो जाता।
फिर भी वादल बहुत डराता।।
रुक रुक रुक कर वादल गरजे।
बहुत अधिक तब पानी बरसे।।
जहां देखता पानी पानी।
तभी याद आती है नानी।।
साहित्यकार ऋतुराज वर्मा