बल्लू का जाना
24• बल्लू का जाना
कालू, दुल्ली और बेटा बल्लू ।जंगल में अपनी बिरादरी में कालू का परिवार सबसे छोटा था।लेकिन जंगल में फिर भी भोजन की कमी पड़ जाती थी।अब उसका परिवार भले छोटा था,औरों के परिवार तो अधिकतर बड़े ही थे।आजकल सबके लिए वन में भोजन मिलना मुश्किल हो रहा था।अधिकांश परिवार जंगल से बाहर सुबह ही शहर की ओर भोजन के जुगाड़ में निकल जाते थे ।कालू का परिवार सदा वन में ही रहता था ।आज दुल्ली के कहने पर उसके साथ वह भी बेटे बल्लू को लेकर जंगल के कोने से सटे शहरी आबादी के किनारे के एक मुहल्ले की तरफ सुबह-सवेरे निकल पड़ा ।मुहल्ले के किनारे ही एक बड़े से घर में दुल्ली ने जंगल के एक ऊंचे पेड़ से एक दिन अमरूद का पेड़ देख रखा था जो काफी फला हुआ था।
आज उसी के झुरमुटों में बैठ कर पूरे परिवार की अमरूद के दावत की योजना थी।जंगल से उछलते-कूदते तीनों बाहर निकले।एक नया अनुभव होने जा रहा था ।पास ही एक छोटा-सा पुल था, जिसे पार करना था। पुल से तमाम गाड़ियों की आवाजाही थी।दोनों तरफ बिजली के खंभे थे जिनके बीच काले रंग के मोटे केबल बंधे उस पार गए थे ।शायद वाई-फाई या केबल टीवी वालों ने लगा रखे थे ।पूरा परिवार उसी केबल पर झूलकर उस पार निकल गया ।बल्लू भी माँ-बाप के पीछे-पीछे उनकी ही नकल करता झूलता-खेलता पार हो गया।भोर का समय होने से मकान वाले अभी भी जगे नहीं थे। अमरूद के झुरमुट में जगह
-जगह बैठकर सभी भर पेट अमरूद खाए और गिराए।पेट भरने के बाद अब आगे शहर टटोलना बेकार था।वन में जाकर किसी बड़ी डाल पर आराम करना था।
वापसी यात्रा का रास्ता भी वही सही लगा जिधर से आना हुआ था।सभी वैसे ही वापस चल पड़े ।इसबार कालू आगे, दुल्ली सुरक्षा में सबसे पीछे और बीच में बल्लू वैसे ही केबल के रास्ते पुल पार किए।लेकिन वापसी में एक हादसा हो गया ।लोहे के खंभे पर एक कोई बिजली का छोटा डिब्बा लगा था जिसका ढक्कन पूरा बंद नहीं था।बच्चा बल्लू वहीं ठिठक गया और ढक्कन खोल कर भीतर झाॅककर खेलने लगा ।पता नहीं कैसे उसे बिजली छू गई और वह नीचे जमीन पर गिर पड़ा ।माँ-बाप जबतक दौड़े तबतक उनका प्यारा बेटा बल्लू चल बसा था।कालू और दुल्ली के दुख की कोई सीमा नहीं थी।दोनों वहीं गमगीन बैठे रहे।आते-जाते लोग भी इस घटना से बहुत दुखी थे।जंगल में बंदरों को पता चला ।सब आकर दोनों को ले गए ।आगे से उन्हें जंगल से बाहर इंसानी बस्ती में जाने से मना किए, इस आश्वासन के साथ कि उनके लिए वे फल और पत्ते लाएंगे । लेकिन ऊपर वाले को कुछ और ही मंजूर था ।सुबह-सवेरे सभी वानरों ने देखा कि कालू और दुल्ली दोनों ही पास के कूंए में डूब कर आत्महत्या कर चुके थे ।शायद ऊपर वाले ने उन्हें उनके बेटे के पास बुला लिया था ।
बल्लू का जाना वाकई बहुत दुःखद था।
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—राजेंद्र प्रसाद गुप्ता,मौलिक/स्वरचित,11/07/2021•