बलिदान
कतरे-कतरे चीथड़े-चीथड़े का
हिसाब होना चाहिए,
बिछी जो लाशे सड़कों पर
उनका इंसाफ होना चाहिए।
बहाना था जो रक्त तुम्हे
बहा लिया बेगैरतों,
कश्मीर की बात कौन करे
पाकिस्तान हमारा होना चाहिए ।।
रक्त है बहते आंखों से अब ना
कोई मुलाकात होना चाहिए,
धरती कहती अम्बर कहता दुश्मन की
मौत का मंजर होना चाहिए।
अब और ना बलदानी वीरों का
शीश धरा पर हो,
कसम तिरंगे की खाओ नक्शे से
पाकिस्तान को हटना चाहिए।।
उरि देखा पुलवामा देखा
अब और ना मौत का मंजर होना चाहिए ,
आंख दिखाए जो आतंकी
उसके सीने में गोली उतरनी चाहिए।
हाफिज हो या जैश ए मोहम्मद
या इन हिजड़ों के सरदार हो,
अमर शहीदों की खातिर
उनका संहार होना चाहिए ।।
शीष झुकाने से कुछ ना होगा
अब शीष काटना चाहिए ।
बातों की पटूता ना बहलाओ
अब छप्पन इंची सीना दिखना चाहिए ।
उसने मारे रास्तों में तुम घर में घुस के मारों,
चिता की आग ठंडी होने से पहले
पाकिस्तान हमारा होना चाहिए ।।
आग लगी जो सीने में उसमे
पाक को जलना चाहिए ,
वीर सपूतों की बलिदानी
व्यर्थ ना होना चाहिए।
उजड़ी मांगे सूनी कोख
अब बलिदानों को तैयार है,
सुन लो दिल्ली की बहरी सरकारे
अब और ना बलिदान होना चाहिए।।
–सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी)–