बलमू तऽ भइलें जुआरी
जिनिगी भइल बाटे भारी हो, खेत कोड़े बेचारी,
कि बलमू तऽ भइलें जुआरी हो, खेत कोड़े बेचारी।
तनिको शरम बा न नजरी में पानी,
कि बान्हें धराइल सोना आ चानी,
लागल बा कइसन बेमारी हो, खेत कोड़े बेचारी-
कि बलमू तऽ भइलें जुआरी हो, खेत कोड़े बेचारी।
घर में अनाजे के बा परेशानी,
मरदू के जुआ, शराब जिंदगानी,
मेहरी के जिनिगी कुदारी हो, खेत कोड़े बेचारी-
कि बलमू तऽ भइलें जुआरी हो, खेत कोड़े बेचारी।
जुअरियन से भरले रहेला घारी,
मरदू ना मानस सुनियो के गारी,
कइ लिहलें चोरन से यारी हो, खेत कोड़े बेचारी-
कि बलमू तऽ भइलें जुआरी हो, खेत कोड़े बेचारी।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 07/04/2000