बर्बर लोग
ये तो बीमार लोग हैं
ईलाज की ज़रूरत है इन्हें
निकले हैं कबीलों से
समाज की ज़रूरत है इन्हें…
(१)
हर लूट-मार में शामिल हैं,
ये पूरी तरह से जाहिल हैं
मासूम मानवता के ही नहीं
ये ख़ुद अपने भी क़ातिल हैं
और किसी सज़ा की नहीं,
किताब की ज़रूरत है इन्हें…
(२)
इनका कोई दिलदार नहीं
इनसे किसी को प्यार नहीं
इन्हें जहां थोड़ा सुकून मिले
ऐसा कहीं घर-बार नहीं
जीवन इनका उजड़ा चमन
गुलाब की ज़रूरत है इन्हें…
(३)
खेलते आए हैं ये अब तक
बंदूकों और तलवारों से
बहलता रहा है दिल इनका
चीख़ों और पुकारों से
एक आगाह करती हुई
आवाज़ की ज़रूरत है इन्हें…
#lyricist
Shekhar Chandra Mitra
#सामाजिक_क्रांति #buddha #युद्ध #बुद्ध_पुर्णिमा
#Lynching #उत्पीड़न #riots #दंगा #nowar