बर्दाश्त की हद
मेरी गुस्ताख़ी को
कब तक
करते रहेंगे माफ़ वो?
मेरी बदमाशी को
कब तक
करते रहेंगे माफ़ वो?
बर्दाश्त करने की
भी आख़िर
एक हद तो होती है न!
मेरी बेबाकी को
कब तक
करते रहेंगे माफ़ वो?
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