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17 Jul 2019 · 1 min read

बरस जा ऐ सावन

बरस जा ऐ सावन
क्यों हे गरज रहा
मैं भी भीगने को
तुझ मे तरस रहा।
तरस रहे कलरव करते वो पंछी
एक बुंद तेरी जिनकी प्यास हे
सुखी पडी नदियां भी
तेरे बिन उदास हे।
मन को व्याकुल कर बैठा
निगाहे आसमान तलक ताके
वो किसान को बस तुझ पर ही आस है।
बरस जा ऐ सावन
क्यों हे गरज रहा।

सोनु सुगंध

Language: Hindi
510 Views
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