बरस जाओ बादल प्यारे…
बरस जाओ बादल प्यारे,
सूखे खेत तुम्हें पुकारें,
सबकी उम्मीद हैं तुमसे,
बिन पानी सब तरसे,
जब पानी खूब बरसेगा,
कोई फिर न तरसेगा,
अन्न से होंगे खेत भरे,
कोई फिर न भूख से मरे,
होगा देश हमारा खुशहाल,
कल-कल बहेंगे नदी ताल,
हरी – भरी होगी फिर धरा,
बरस जाओ मेघ जरा,
सुनो ! मानव कैसे बरसे,
तुम डरते नहीं हो रबसे,
काट रहे हो जंगल कबसे,
लोभ लालच में घिरे जबसे,
सुधर जाओ समझ संकेत,
हो जाओ अब तुम सचेत,
प्रकृति हुई है तुमसे रुष्ट,
देख तुम्हारा काम सम दुष्ट,
आओ मिलकर पेड़ लगाए,
अपनी साँसे खुद बचाए,
मेघ फिर बरसेंगे झमाझम,
होगी चिंता तुम्हारी कम,
——जेपीएल