बरसे मेघ धार
दोहा — बरसे मेघ धार
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सृजन करो इस भुइँया को, धन है अपार।
प्रकृति की दोहन से बच, न कर ब्यापार।।
पेड़ो की कटाई न हो, न दिखे अब वीरान।
प्रकृति से मोह कर, आय खुशियां जहान।।
पेड़ लगाओ अब ,हरियाली दिखे हर ओर।
शीतलता से भर जाय,जीवन में चहु ओर।।
सुंदर हमारी बाग़ बने , हो सब छायादार ।
मानव में खुशियाली हो , बरसे मेघ धार।।
ऐसी शिक्षा दो मानव को,जागे हर समाज।
नेक कार्यो से जूट जाय,हो उन्नति आगाज।।
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रचनाकार डीजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
मिडिल स्कूल पुरुषोत्तमपुर,बसना
जिला महासमुंद (छ.ग.)
मो. 8120587822
dijendrakurrey@gmail.com