“बरसात”
बरसात आयी,
कई घरों में खुशी का माहौल
तो कई घरों में ग़म लाई,
पेड़ों से झलकीं बूँदें तो
बच्चों के लिए खुशियाँ लाई।
बरसात आयी,
रिमझिम-रिमझिम बूंदें लाई,
कई लोगों के मन की शांति लाई।
किसी की फसल लहरा रही थी,
किसी की टीन की आवाज आ रही थी
और किसी के छप्पर से बूँदें टपकती जा रही थीं…
उन घरों में मच गई हलचल
क्योंकि उन्हें बारिश सता रही थी,
बरसात किसी घर में खुशी
तो किसी घर में ग़म ला रही थी ।
— रितु