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16 May 2024 · 1 min read

बरसात

पहले जैसे अब कहाॅं, होती है बरसात।
जोर -जोर से भी कभी,होती थी दिन रात।
होती थी दिन -रात,चाल छप्पर से टपटप।
बादल गरजे जोर,हवा चलती थी सपसप।
जल्दी लगती नींद,सभी उठते थे अहले।
अब जगते हैं रात,सुबह न उठते ‌ पहले।

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