बरसात
मुक्तक – बरसात
★★★★★★★★★★★
कभी बरसात आती है ,
कभी गर्मी जलाती है ।
कभी तूफानों की लहरों में ,
हम सबको सताती है ।
रखों तुम चाह इतनी प्रेम,
इस प्रकृति पर यारों।
जगाना पेड़ है हम सबको,
इसी में भलाई है।
★★★★★★★★
डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”