बरसात
आसमाँ से बरसता है
जब पानी।
हमे याद आती है
बरसात की वो
बीति कहानी।
हम थे और वो बरसात
का पानी।
नन्हें पैरों से खेलती
वो लहरे
घर के आँगन का पानी।
नदियाँ नही हे हमारे गाँव की
तलाब से बहकर निकलता
सड़कों पर जैसे नहर का पानी।
हमे याद आती वो बीति
बरसात की कहानी।
आसमाँ से जब बरसता है
जब पानी।
कभी आसमाँ मे छाई घटा
देखकर झूम उठते।
कभी चमकती बिजली को
देखकर सहम जाते।
जैसे ठंड से हम काप
जाते।
आज भी याद आती वो
बरसात की बीति कहानी।
आज भी हम बरसात को देखकर
बीते लमहो मे कही गुम हो जाते।
शयाद वो दिन फिर लौट आते।
ये शोचकर हम खुश हो जाते।
* स्वामी गंगानिया *