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14 Jun 2021 · 1 min read

बरसात

नमन मं
#दि0-14/06/21
#विषय-बरसात
#विधा-काव्य
#छंद-नलिनी
#वर्णभार-112 112 112 112 112
सगण सगण सगण सगण सगण

बारसात हुई इस सावन में जमके।
चपला चमकी दमकी नभ में हँसके।
प्रिय का मन मोर उठा बनके ठनके।
दिल चंचल हैं रुत में सबके हटके।।

सज सुंदर सावन हर्षित है धरती।
अबकी बरखा मनभावन है लगती।
सहसा चकवा चकवी फिरती अटती
खग चातक की नजरें नभ में पड़ती।

नव बूँद गिरी नव धार बनी नद में।
कचनार उगे नव फूल खिले वन में।
धुन दादुर का रव मोहक है ह्रद में।
चहुँ बेल लगी ककड़ी गुदड़ी घर में।।

शिव शंकर मास यही जयकार करें।
हर कंकर में हरि हैं उर ध्यान धरें।
मनभाव चतुर्दिक श्रावण में उभरें।
बम बोल जरा मन से प्रभु कष्ट हरें।।

रचयिता- रोशन बलूनी
कोटद्वार पौडीगढवाल
उत्तराखण्ड
@..copyright act..

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 543 Views
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