बरसात
बरसात
आ गई बरसात
देख रहे थे कब से
राह इसकी
लहलहा उठे पेड़-पौधे
टर्रा उठे मेंढक
हुई धींगा-मस्ती
बच्चों की
चल पड़ीं
कागज की नाव
मिल गई
गर्मी से राहत
पकवानों की महक
फैली चहुंओर
चल रहा
परनालों का पानी
कितनी सौगात लाई
बरसात अपने साथ
-विनोद सिल्ला©