Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2021 · 1 min read

बरसात

बरसात की कहूँ कहानी
सुंदर सुखद सुहानी है ,
धरती माॅ की गोद भराई
बरसात से ही होती है ।

बरसात आने का अनुमान
आसमान कह देता है,
बादल गरजें उमड़ घुमड़
बिजली खूब ड़राती है ।
धरती माॅ की गोद भराई
बरसात से ही होती है ।

तेज हवा भी चुप हो जाती
घनघोर घटा छा जाती है,
काले बादल पानी लाते
हवा संग में दीवनी है ।
धरती माॅ की गोद भराई
बरसात से ही होती है ।

पहले रूप ड़रावन लगता
रिमझिम रूप सुहाता है
हर्षित हो जाता किसान भी
फसलें खूब लगाता है ।
धरती माॅ की गोद भराई
बरसात से ही होती है ।

पानी पाते ताल तलाई
नदियाँ भी इठलाती हैं,
मेंढक झिगुर गाना गाते
धरती मन मुस्काती है ।
धरती माॅ की गोद भराई
बरसात से ही होती है ।

हरे भरे हो वृक्ष झूमते
पिलकन मौर सजाती है ,
हरी घास चूनर से शोभा
सबके मन को भाती है ।
धरती माॅ की गोद भराई
बरसात से ही होती है ।

वन उपवन में मोर नाचते
पपीहा बीन बजाता है,
फुदक रही आॅगन गौरैया
सूरज कुछ शरमाता है ।
धरती माॅ की गोद भराई
बरसात से ही होती है ।

अमृत धारा लेकर बरखा
धरती को खूब नहाती है,
माटी का चंदन रूप बना
मानव को तिलक लगाती है ।
धरती माॅ की गोद भराई
बरसात से ही होती है ।

राजेश कौरव सुमित्र

2 Likes · 2 Comments · 303 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Rajesh Kumar Kaurav
View all
You may also like:
चुप्पी और गुस्से का वर्णभेद / मुसाफ़िर बैठा
चुप्पी और गुस्से का वर्णभेद / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
ख़्वाब ख़्वाब ही रह गया,
ख़्वाब ख़्वाब ही रह गया,
अजहर अली (An Explorer of Life)
मतिभ्रष्ट
मतिभ्रष्ट
Shyam Sundar Subramanian
विनाश नहीं करती जिन्दगी की सकारात्मकता
विनाश नहीं करती जिन्दगी की सकारात्मकता
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
भक्ति की राह
भक्ति की राह
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
रफ्ता रफ्ता हमने जीने की तलब हासिल की
रफ्ता रफ्ता हमने जीने की तलब हासिल की
कवि दीपक बवेजा
राजनीति
राजनीति
Bodhisatva kastooriya
*कागभुशुंडी जी थे ज्ञानी (चौपाइयॉं)*
*कागभुशुंडी जी थे ज्ञानी (चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
- मेरी मोहब्बत तुम्हारा इंतिहान हो गई -
- मेरी मोहब्बत तुम्हारा इंतिहान हो गई -
bharat gehlot
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
कवि रमेशराज
*रिश्ते*
*रिश्ते*
Dushyant Kumar
ख़ास विपरीत परिस्थिति में सखा
ख़ास विपरीत परिस्थिति में सखा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Khuch rishte kbhi bhulaya nhi karte ,
Khuch rishte kbhi bhulaya nhi karte ,
Sakshi Tripathi
नारी है तू
नारी है तू
Dr. Meenakshi Sharma
देश हे अपना
देश हे अपना
Swami Ganganiya
बेशक प्यार तुमसे था, है ,और शायद  हमेशा रहे।
बेशक प्यार तुमसे था, है ,और शायद हमेशा रहे।
Vishal babu (vishu)
3412⚘ *पूर्णिका* ⚘
3412⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
खून-पसीने के ईंधन से, खुद का यान चलाऊंगा,
खून-पसीने के ईंधन से, खुद का यान चलाऊंगा,
डॉ. अनिल 'अज्ञात'
इतनी जल्दी क्यूं जाते हो,बैठो तो
इतनी जल्दी क्यूं जाते हो,बैठो तो
Shweta Soni
एक मशाल तो जलाओ यारों
एक मशाल तो जलाओ यारों
नेताम आर सी
मैं प्रभु का अतीव आभारी
मैं प्रभु का अतीव आभारी
महेश चन्द्र त्रिपाठी
सोने के पिंजरे से कहीं लाख़ बेहतर,
सोने के पिंजरे से कहीं लाख़ बेहतर,
Monika Verma
"अक्सर"
Dr. Kishan tandon kranti
सबसे बड़े लोकतंत्र के
सबसे बड़े लोकतंत्र के
*प्रणय प्रभात*
"बोलती आँखें"
पंकज कुमार कर्ण
कशमें मेरे नाम की।
कशमें मेरे नाम की।
Diwakar Mahto
भस्मासुर
भस्मासुर
आनन्द मिश्र
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
" लक्ष्य सिर्फ परमात्मा ही हैं। "
Aryan Raj
नज़र में मेरी तुम
नज़र में मेरी तुम
Dr fauzia Naseem shad
Loading...