बरसात
प्रेम-मिलन की आशा लेकर, याद पिया की आई है।
बारिश की बूंदों ने जब-जब, हिय में आग लगाई है।
ठुमक-ठुमक कर नाचे पायल, झुमके झूला झूल रहे।
चूड़ी, कंगन शर्म-हया की, मर्यादा तक भूल गये।
लाली, बिंदिया सेज सजाई, काजल कजरी गाई है।
बारिश की बूंदों ने जब-जब, हिय में आग लगाई है।
बंजर मन है फिर से आतुर, फूल गुलाब खिलाने को।
इत्र भरी साँसे हैं व्याकुल, भंवरे पर मिट जाने को।
हर आहट पर मन के अन्दर, गूंज उठी शहनाई है।
बारिश की बूंदों ने जब-जब, हिय में आग लगाई है।
मन की प्यास मिटेगी अब तो, नैना भी सुख पाएंगे।
कौए ने संदेशा लाया, आज पिया घर आएंगे।
ऐसी मिलन घड़ी पर तन में, सिहरन सौत समाई है।
बारिश की बूंदों ने जब-जब, हिय में आग लगाई है।