बरसात
धरती पर अब भेज दो, ठंडी मस्त फुहार
कर दो हम पर मेघ जी, अब इतना उपकार
अब इतना उपकार, भिगो दो तपते तन को
दो इतना आनन्द, तृप्त भी कर दो मन को
कहे ‘अर्चना’ माफ, हमारी कर दो गलती
ले आओ बरसात, बहुत प्यासी है धरती
04-07-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद