बरसात (मुक्तक)
बरसात (मुक्तक)
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ये काले बादलों से जैसे आती रात क्या
कहने
ये रिमझिम हौले बूॅंदों का मधुर आघात क्या
कहने
अहा ! क्या दृश्य अद्भुत है फुहारों के बरसने
का
ये मस्ती और किस मौसम में है बरसात क्या
कहने
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रचयिता ः रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451