“ बरसात की एक रात “
“ बरसात की एक रात “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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बरसातों में तुम याद मुझे क्यों आती हो ?
तुम मुझसे आँखों से ओझल आखिर क्यूँ हो जाती हो ?
बरसातों में तुम याद मुझे क्यों आती हो ?
तुम मुझसे आँखों से ओझल आखिर क्यूँ हो जाती हो ?
बारिस की बूंदों की छमछम ,
पायल की धून बजती है !
मन चंचल हृदय डोल उठा ,
जब तेरी चूड़ियाँ खनकती है !!
बारिस की बूंदों की छमछम ,
पायल की धून बजती है !
मन चंचल हृदय डोल उठा ,
जब तेरी चूड़ियाँ खनकती है !!
अपने एहसासों की खुसबू क्यों हमको देती हो ?
तुम मुझसे आँखों से ओझल आखिर क्यूँ हो जाती हो ?
बरसातों में तुम याद मुझे क्यों आती हो ?
तुम मुझसे आँखों से ओझल आखिर क्यूँ हो जाती हो ?
कभी छा जाये काली से घटा ,
बादल का गरजना ठीक नहीं !
डर के जो कहीं रुक जाये वो ,
रुक जाना उसका ठीक नहीं !!
कभी छा जाये काली से घटा ,
बादल का गरजना ठीक नहीं !
डर के जो कहीं रुक जाये वो ,
रुक जाना उसका ठीक नहीं !!
वादे सब दिन हमसे क्यूँ कर जाती हो ?
तुम मुझसे आँखों से ओझल आखिर क्यूँ हो जाती हो ?
बरसातों में तुम याद मुझे क्यों आती हो ?
तुम मुझसे आँखों से ओझल आखिर क्यूँ हो जाती हो ?
मौसम बदले ऋतु भी बदला ,
अब बर्षा का मौसम है आया !
तेरी विरह व्यथा को सहकर ,
इतने दिन हमको तड़पाया !!
मौसम बदले ऋतु भी बदला ,
अब बर्षा का मौसम है आया !
तेरी विरह व्यथा को सहकर ,
इतने दिन हमको तड़पाया !!
अपनी खुसबू से क्यूँ मुझमें आग लगती हो ?
तुम मुझसे आँखों से ओझल आखिर क्यूँ हो जाती हो ?
बरसातों में तुम याद मुझे क्यों आती हो ?
तुम मुझसे आँखों से ओझल आखिर क्यूँ हो जाती हो ?
बरसातों में तुम याद मुझे क्यों आती हो ?
तुम मुझसे आँखों से ओझल आखिर क्यूँ हो जाती हो ?
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका ,झारखंड
भारत