बरसात की ऋतु
सावन आया बरसे छम-छम कर बदरा
धरती ओढी मखमल हरित चुनरिया
मिट्टी से सौंधी-सौंधी खुश्बू आई
गाँव में हरियाली मनभावन नज़रिया
नव जीवन चहुँओर मधुरमय खुशहाली
धरती पुत्र का मन पुलकित आया सावन
रुमानी मौसम मस्त चले पूर्वईया
पंछियों की कलरव से गुंजित भू गगन
कुसुम कलिकायें में आई नई जोबन
विटप लतिकायें से है सुंदर आवरण
विविध पंछियों की मधु-मधुरम पंचम स्वर
धरती रानी ने की अलौकिक रूप धारण
कागज की नाव चलाकर बच्चे प्रमुदित
गुडियां दौड रही छम-छम कर आँगन में
बरसात की ऋतु सुहाना लागे मौसम
भीग गया मन अम्बर आग लगा तन में
अलबेला दृश्य धरती अम्बर का मिलन
पलपल कुदरत का कलिका मौसम चंचल
आओ सखियां झूले सावन की झूला
रिमझिम बरसात में ओढकर के आंचल
दुष्यंत कुमार पटेल