Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 May 2023 · 1 min read

बरगद पीपल नीम तरु

बरगद पीपल नीम को,कहते रूप त्रिदेव।
ब्रह्मा,विष्णु,महेश जी,इसमें बसे स्वमेव।।

ऋषि- मुनि योगी संत-जन, यहीं लगाते ध्यान।
इसके नीचे बैठकर,मिला बुद्ध को ज्ञान।।

मोक्षदायिनी वृक्ष है,करता मोक्ष प्रदान।
करे शुध्द पर्यावरण,धरती माँ की शान।।

ये तरु घना विशाल है,देते शीतल छांव।
आते-जाते लोग के,रोके थकते पांव।।

बरगद,पीपल ,नीम तरु, पूजन करते लोग।
शुद्ध हवा देता हमे, तन मन रखे निरोग।।

विधिवत तरुवर पूजते,पूरी होती आस।
सारे देवी देवता,हैं पितरों का वास।।

रोग मुक्त संतान सुख,देते तीनों पेड़।
भरते झोली प्यार से, आशीषों का ढ़ेर।।

ब्रह्म-ज्ञान,पशु,पुत्र,धन,शुद्ध-पवन जलपान।
दीर्घ आयु बल वीर्य यश,तरुवर करे प्रदान।।

सदियों से इसका रहा, आयुर्वेदिक महत्व।
आते हैं उपयोग में,इसके सारे तत्व।।

हर लेते संताप को,रखते हमें निरोग।
पात,पुष्प,फल,छाल,जड़,औषधि में उपयोग।।

हरियाली देता हमे,वृक्ष हमारा मित्र।
बंजर को उर्वर करे,जल संचयन चरित्र।।

बरगद,पीपल,नीम तरु,कभी न काटे आप।
जीवंत वृक्ष काटना,बहुत बड़ा है पाप।।

बरगद,पीपल,नीम के, वृक्ष बहुत हैं नेक।
घर फर्नीचर हेतु पर, इसको देते फेक।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

3 Likes · 2 Comments · 454 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
Loading...