बरगद की जब नहीं मिल रही छांव
जिन्दगी में कोई मोड़
ऐसा भी आता है कि
जहां जिन्दगी समझ नहीं आती
बरगद की मिलती थी जब
छांव
समझ नहीं आती थी धूप
अब जब नहीं मिल रही छांव
कुछ ज्यादा ही अच्छे से समझ
आ रही धूप।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001