बरखा बहार आई
बरखा बहार आई , उड़ा कर साजन का प्यार लाई
मंद -मंद मुस्कराए , पिय मिलन की फुहार लाई
गजगामिनी सी हुई चाल निखर रहे है सब साथ श्रृंगार
बरखा बहार आई , चुन – चुन साजन की मनुहार लाई
मन का पपिहा शोर मचावे पीऊ पीऊ जिया जलाये
हरित परिधान पहन धरा नाचे , आस पिया की जगाये
अंखियों में छायी मस्ती ,तन मन को कर दूं मैं न्योछावर
बरखा बहार आई ,, पिया का साथ उपहार लाई