बयां सारा हम हाले दिल करेंगे।
पेश है पूरी ग़ज़ल…
हम दिल से हमेशा बस तेरे ही हाजतमंद रहेंगे।
मेरे गुलशन ए इश्क में तुमको वफा के फूल ही मिलेंगें।।1।।
गर कभी जो मिलने का मन हो तुम्हारा हमसे।
तो आइने में तुम खुद को देखना तुम में हम ही दिखेंगे।।2।।
आएगा जब सावन का महीना झूमके बरसेंगें।
बनकर बारिश की पहली बूंद तुम्हारे तन पे हम गिरेंगें।।3।।
तेरी चाहत को हम अपने सर आंखों पे रखेंगे।
अब ना लब तुम्हारे वीराने सेहरा में तिश्नगी से तरसेंगें।।4।।
ना पूंछ खतों में कि तुम बिन हम कैसे रहे है।
मिलेंगें जब तुमसे तो बयां सारा हम हाले दिल करेंगे।।5।।
तन्हाई के आलम में छत पर आ जाया करो।
बनकर कमर हम तुमको रातों में चांदनी नज़र करेंगें।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ