बन विवेक-आनंद,कह रहा संवत्सर नव
नव संवत्सर पर बनो, आप ज्ञानमय प्राण|
तब ही राष्ट्र प्रसन्न जब, सब का हो कल्याण||
सबका हो कल्याण, जाग,कुछ पाना सीखो|
तजकर मन का मैल, मुस्कराना भी सीखो||
कह “नायक” कविराय,कुछ नहीं दिखे असंभव|
बन विवेक-आनंद, कह रहा संवत्सर नव||
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
प्राण=जीवन,शक्ति
आपको भारतीय नव वर्ष,विक्रम संवत 2074 एवं नव रात्रि की अनंत हार्दिक शुभकामनाएं |