बन जाओ कोयल
कोयल मीठा बोल कर,प्राप्त करे सम्मान।
हर्षित कर जन-हृदय को, बन गई मृदुल-महान।।
बन गई मृदुल- महान , कुरस बाणीमय कौवा।
सहे नित्य दुत्कार,बन गया जग- भ्रम-हौवा।।
कह “नायक” कविराय प्रेम बिन दृग कर बोझल।
जियो न, तजो विकार, और बन जाओ कोयल।
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता