बन के रणचंडी काट शीश,
जुल्मो सितम तो बहुत सह लिये,अब तो प्रतिकार करो।
ना बाज़ कभी ये आयेंगे,दुश्मन पर अब तो वार करो ।।
सहा ना जाये ओर जुल्म अब,इन नापाक शैतानों का-
बन के रणचंडी काट शीश, दुष्टों का अब संहार करो
✍ शायर देव मेहरानियाँ
अलवर, राजस्थान
(शायर, कवि व गीतकार)
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