बन्दर-बिल्ली
बंदर दे दो एक मिठाई
बिल्ली हंसकर के बोली।।
कुटिल हंसी थी उसकी लेकिन
फैलाए थे वह झोली।।
बंदर ने दी एक मिठाई
तब बंदर पर वो झपटी।
ले कर भागी सारी मिठाई
कितनी थी बिल्ली कपटी।।
ज्यों ही भागी फिसल गई वो
पैर की हड्डी टूट गई।।
लेकर भागी थी जो मिठाई
वह हाथों से छूट गई।।।
चिल्लाई सर धुन-धुन रोई
दया आ गई बंदर को।।
बैठाया फिर पीठ में अपनी
और कहा कि अब मत रो।।
लेकर डॉक्टर के घर पहुंचा
दवा से ही हो, गई वो ठीक।
बुरे काम का बुरा नतीजा
बिल्ली को ये मिल गई सीख।।
विजय बेशर्म