बन्दर-बाँट
**** बन्दर-बाँट *****
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शुरू हुई बन्दर – बाँट है,
हर तरफ सांठ-गांठ है।
जो जितना चतुर चालक,
उसके उतने ठाठ-बाट है।
देश के विकास का नारा,
पंगत ज्यादा फ़टे टाट हैं।
बढ़ी कीमतें कम न होती,
सौदा हल्का भारी बाट हैं।
मनसीरत चस्का कुर्सी का,
कुर्सी पूरी टूटी खाट है।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)