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29 May 2019 · 1 min read

बनो तो सही

तुम जरा दीप माला बनो तो सही
इक क्षुधा का निवाला बनो तो सही
कंठ में ले लिया जिसने सारा गरल
शिव नही पर शिवाला बनो तो सही
माँ सदृश बनके अंचल में पालो हमे
लड़खड़ाते कदम है संभालो हमे
आप पहले कौशिल्या बनो तो सही
जानकी न बने तो जलादो हमे
प्यार लौ से पतंगा यूँ मन से करे
चांदनी प्यार जैसे चमन से करे
बंद कलियों में रस रंग लेता रहा
जिस तरह प्यार मधुकर सुमन से करे
चाँद को प्यार जैसे चकोरी करे
जिस तरह प्यार बचपन से लोरी करे
उस तरह आपसे प्यार करता हूं मैं
जिस तरह प्यार साजन से गोरी करे
इस तरह मैं बिना मोल बिकने लगा
ज्ञान का वो दिवाकर भी दिखने लगा
क्या भरा शील ‘सुशील’ में आपने
रामजी की कृपा से ही लिखने लगा ।

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 235 Views
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